२० साल के थॉमस मैथ्यू क्रुक्स ने डोनाल्ड ट्रंप पर हमला क्यों किया?
२० साल के थॉमस मैथ्यू क्रुक्स ने डोनाल्ड ट्रंप पर हमला क्यों किया?
सारा अमेरिका, उसकी जाँच एजेंसियाँ और दुनिया सन्नाटे में हैं। सब इस सवाल का जवाब पाना चाहते हैं।
FBI, Secret Service, पुलिस सहित सारी एजेंसियाँ गहनतम जाँच पड़ताल में लगी हैं क्योंकि एक पूर्व-राष्ट्रपति और नवंबर के राष्ट्रपति चुनाव के दो मुख्य उम्मीदवारों में से एक पर चुनाव रैली में ऐसा हमला किसी भी देश में सर्वोत्च गंभीरता से लिया जाएगा, लिया जा रहा है।
समूचा अमेरिकी मीडिया भी अपने तरीक़ों से, अधिक से अधिक संसाधन और पत्रकारों को लगा कर इस काण्ड के सभी पहलुओं को खँगाल रहा है।
राष्ट्रपति बाइडेन और ट्रंप दोनों ने अमेरिका की राजनीति में तापमान को नीचे करने की बातें कही हैं। दोनों ने इस कठिन समय में बेहद विभाजित अमेरिका को जोड़ने की, राष्ट्रीय एकता की बात की है। दोनों में से किसी ने हमलावर क्रुक्स की संभावित प्रेरणा-कारणों-उद्देश्यों के बारे में कोई ग़ैरज़िम्मेदार बयान नहीं दिया है। किसी पक्ष और विचारधारा पर हमले के लिए ज़िम्मेदार होने, भड़काने के आरोप नहीं लगाए हैं।
FBI अधिकारियों ने जाँच के कई पहलुओं पर बात तो की है लेकिन हमले के पीछे के संभावित कारणों पर कुछ नहीं कहा है।
क्रुक्स के बचपन, परिवार, विद्यार्थी जीवन, सामाजिक जीवन, सोशल मीडिया, उसके पड़ोसी-दोस्त-सहपाठी-परिचितों से बात करके उसके मनोविज्ञान को समझने के प्रयास किए जा रहे हैं। अमेरिका और दुनिया के श्रेष्ठतम अख़बार न्यू यार्क टाइम्स ने क्रुक्स के बारे में जानकारियाँ इकट्ठा करने पर ही ११ पत्रकारों को लगाया।
टाइम्स की रिपोर्टें बताती हैं क्रुक्स की कोई स्पष्ट राजनीतिक विचारधारा नहीं दिखती। वह ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी का रजिस्टर्ड सदस्य है, साथ ही एक डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़ी संस्था को १५ डॉलर का दान भी दे चुका है। हाई स्कूल में उसके सहपाठी रहे सिर्फ़ एक युवक ने कहा उसका झुकाव दक्षिणपंथी विचारों की ओर था। इसके अलावा उसकी राजनीतिक निष्ठाओं-सरोकारों-विचारों-सक्रियता के कोई चिन्ह नहीं सामने आए हैं। उसके सोशल मीडिया पर सक्रियता, विचार वग़ैरह लगभग नदारद हैं। वह अकेला, चुपचाप, अपने में रहने वाला अंतर्मुखी लड़का था। उसके पिता भी समझ नहीं पा रहे कि उसने यह क्यों किया।
लेकिन हमारे देश के अलौकिक ज्ञान-संपन्न पत्रकारों, राजनीतिज्ञों को पलक झपकते ही सब ज्ञात हो जाता है। वे तुरंत देख लेते हैं कि क्रुक्स के पीछे अमेरिका के वामपंथी, अर्बन नक्सल हैं।
त्रिकालदर्शी ‘दृष्टा’ भारत में ही नहीं होते, हर देश समाज में पाए जाते हैं। इन्हें षडयंत्रदर्शी भी कहा जाता है (conspiracy theorists)। डोनाल्ड ट्रंप पर प्राणघातक हमले के बाद अमेरिका में भी तरह-तरह की षडयंत्रदर्शी आख्यानों की बाढ़ आई हुई है।
दक्षिण-वाम विचारधाराएँ वहाँ भी हैं। दोनों एक दूसरे पर हर तरह के आरोप लगाते रहते हैं। इन आख्यानों में एक अति से दूसरी अति तक भाँति-भाँति की कहानियाँ, संभावनाएँ, कल्पनाएँ, पक्की घोषणाएँ और आरोप-प्रत्यारोप हवा में उछाले जा रहे हैं।
एक थ्योरी है कि यह ‘भीतर’ का काम है। इस भीतर के भीतर सीक्रेट सर्विस से लेकर ट्रंप की अपनी रिपब्लिकन पार्टी तक लपेटी जा रही हैं। दूसरी कहती है- हमला बाइडेन ने करवाया है। तीसरी- हमला ट्रंप ने ख़ुद करवाया चुनाव जीतने के लिए।
जब अमेरिका में यह सब कहा जा सकता है तो भारत के प्रवक्ता पत्रकार पीछे क्यों रहें? क्या वे किसी से कम हैं?