
इस चुनाव के असली किंग मेकर सुरेश गुप्ता हैं
डिस्ट्रिक्ट 3011 के चुनाव पिछले माह संपन्न हुए और डिस्ट्रिक्ट ३०११ कि पहली महिला गवर्नर डॉ. पुष्पा सेठी बनी
इस चुनाव के प्रारम्भ में चार प्रत्याशी मैदान में थे
१. डॉ. पुष्पा सेठी
२. सुरेश गुप्ता
३. हेमंत भसीन
४. दिनेश जैन
हमने अपने विश्लेषण में प्रत्याशियों की जीत की संभावना के अनुसार ही उन्हें क्रमबद्ध किया था, आगे चलकर उनके क्रम में बड़ी हेर-फेर भी हुई
जैसे जैसे चुनाव नज़दीक आते गए वैसे-वैसे दिनेश जैन जो चौथे नंबर के प्रत्यासी थे और अशोक कंटूर के आशीर्वाद से मैदान में उतरे थे, उनसे पहले तो अजीत जालान ग्रुप उनसे कन्नी काट रहा था लेकिन फिर धीरे धीरे दिनेश जैन के पक्ष में PDGs खड़े होते गए और एकदम से वह चौथे से दुसरे नंबर पर आ गए
इसी बीच सुरेश गुप्ता जो दुसरे नंबर पर थे जिन्हें अपनी जीत का भरोसा था और उनके कहने के मुताबिक़ वह अनूप मित्तल के कहने से खड़े हुए थे लेकिन सुरेश गुप्ता को अजीत जालान ग्रुप का समर्थन न मिल पाने के कारण वह तीसरे नंबर पर खिसक गए और सुरेश गुप्ता ने मौजूदा स्थिति को भांप लिया और उन्होंने चुनाव से पीछे हट जाने का मन बनाया और वह चुनावों से बाहर हो गए
जब सुरेश गुप्ता चुनावों से बाहर होने का मन बना रहे थे या रविंदर गुगनानी और डॉ. पुष्पा सेठी के द्वारा उन्हें चुनाव से पीछे हटने के लिए मनाया जा रहा था, तब तक दिनेश जैन के समर्थन में डिस्ट्रिक्ट ने मन बना लिया था और उनके जीतने के पूरे आसार बन चुके थे और वह जीत रहे थे, डॉ. पुष्पा सेठी जो नंबर एक पर थी वह दुसरे नंबर पर खिसक गयी थी
लेकिन इसी बीच सुरेश गुप्ता ने चुनाव से पीछे हटने का फैसला कर लिया और इसका सबसे बड़ा कारण उन्होंने जो मुझे व्यक्तिगत रूप से बताया कि अनूप मित्तल का उनके साथ समर्थन में खुलकर न आना, उनका कहना था कि यदि अनूप मित्तल उनके साथ खुलकर होते तो वह चाहे हार जाते लेकिन वह चुनावों से पीछे नहीं हटते
अब बात यहाँ यह समझने वाली है कि दिनेश जैन जिनकी जीत की कहानी लिखी जा चुकी थी वह कैसे हार गए, चौथे नंबर से एक नंबर पर पहुँच कर कैसे वह नंबर दो पर खिसक गए
पहला
जैसा उनके विषय में एक PDG कह रहे थे कि दिनेश जैन को तो उनके क्लब का वोट ही नहीं मिल रहा और यह बात वह आरम्भ से ही कह रहे थे, कि उनका क्लब उनके साथ नहीं है
और यह बात तब सच साबित होती प्रतीत हुई जब दिनेश जैन और हेमंत भसीन ने दोनों ने मिलकर डॉ. पुष्पा सेठी की चुनावों में धांधली और मतदाताओं को रिश्वत देने की शिकायत रोटरी इंटरनेशनल से करी, दिनेश जैन के शिकायत करने से उनके क्लब का बोर्ड उनसे खफा हो गया और बोर्ड ने दबाव बनाया कि वह रोटरी इंटरनेशनल से उस शिकायत के लिए माफ़ी मांगे लेकिन मेरी जानकारी में आया कि दिनेश जैन ने उस शिकायत के बाद दूसरी चिट्ठी लिखी और लिखा कि यह शिकायत उन्होंने व्यक्तिगत रूप से की है इसका क्लब से कोई सरोकार नहीं है, यहाँ यह ध्यान देने वाली बात है कि प्रत्यासी शिकायत नहीं कर सकता बल्कि उसके क्लब का प्रेजिडेंट कर सकता है
जिस शिकायत से डॉ. पुष्पा सेठी को बैकफुट पर जाना चाहिए था उस शिकायत से दिनेश जैन बैकफुट पर चले गए और उनको बैकफुट पर भेजने वाले वही PDG बने जो कह रहे थे कि उनका क्लब उनके साथ नहीं है, वह PDG कोई और नहीं रवि चौधरी हैं, सब जानते ही हैं कि वह कितनी दबंगई से बोलते हैं और उन्होंने अपनी दबंग व्यवहार से उनके क्लब के बोर्ड मेंबर्स को दिनेश जैन पर शिकायत वापस लेने के लिए मना लिया और जब दिनेश जैन ने रोटरी इंटरनेशनल को चिट्ठी लिख दी कि मेरी शिकायत से क्लब का कोई लेना देना नहीं है तब दुसरे पक्ष ने इस खबर को खूब उछाला और यह नैरेटिव बनाने में कामयाब रहे कि उनका क्लब ही उनके साथ नहीं है
दूसरा
गवर्नर के चुनावों में पैसा पानी की तरह बहाया जाता है जैसे डॉ. पुष्पा सेठी ने दो बार महंगे उपहार मतदाताओं को और सम्बंधित लोगों को दिए, उसी तरह कुछ क्लब्स प्रतीक्षारत रहते हैं कि जब चुनाव आएंगे तो कोई न कोई प्रत्याशी उनके RI Dues देगा, ऐसी जानकारी मिली की अनूप मित्तल के द्वारा यह सलाह दी गयी, जब Club Dues की सूची बाहर आयी लेकिन दिनेश जैन की तरफ से उन क्लब्स को संपर्क करके उनके बकाया का भुगतान नहीं किया गया जबकि कहा जा रहा है यह अवसर दूसरी पार्टी ने लपक लिया
तीसरा
सूत्रों के अनुसार मतदातों को कांफ्रेंस में चालीस से अधिक मुफ्त कमरे मिले और इसमें भी दिनेश जैन पीछे रह गए क्योंकि वह माने बैठे थे कि वह तो चुनाव जीत रहे हैं जबकि चुनाव उनके हाथ से खिसकना शुरू हो गया था, यहां पर यह ध्यान देना कि चाहिए चुनाव एक रात में ही बदल जाता है चाहें वह विधान सभा का हो, सांसदी का हो या रोटरी के गवर्नर का
चौथा
यह सबसे अहम् था, जब सुरेश गुप्ता ने अपना नामांकन वापस ले लिया और वह चुनावों से पीछे हट गए तब दिनेश जैन और उनके समर्थन में खड़े गवर्नरों में से किसी ने भी उनके पास जाकर उन्हें अपने समर्थन में आने के लिए नहीं मनाया जबकि दुसरे पक्ष के लोग दो-दो, तीन-तीन बार उनके घर जाकर उन्हें अपने पक्ष में मना लिया, इस पर सुरेश गुप्ता ने मुझे व्यक्तिगत तौर पर कहा कि वह चाहते थे कि दिनेश जैन गवर्नर बनें क्योंकि वह उनके पुराने क्लब के प्रत्याशी हैं और उसी क्लब ने कभी उन्हें पहली बार प्रेसिडेंट बनाया था तो उनकी दिली ख्वाहिश तो यही है कि दिनेश जैन गवर्नर बने, लेकिन यदि किसी को मेरी जरुरत ही नहीं महसूस हो रही है तो मैं बेगानी शादी में अब्दुल्ला क्यों बनूँ
और सुरेश गुप्ता का कहना है कि उन्होंने चालीस वोट डॉ. पुष्पा सेठी को स्थानांतरित किये, मेरा आंकलन है चालीस तो शायद नहीं रहे लेकिन लगभग बीस वोट उन्होंने अवश्य स्थानांतरित किये और वह बीस वोट दिनेश जैन की हार और डॉ. पुष्पा सेठी की जीत का कारण बनें
डॉ. पुष्पा सेठी को 107 वोट मिले और दिनेश जैन को 74 वोट मिले, अब सोचिये यदि सुरेश गुप्ता के 20 वोट दिनेश जैन को मिल जाते तो दिनेश जैन को प्राप्त मतों की संख्या 94 हो जाती और डॉ. पुष्पा सेठी के मतों की संख्या 87 रह जाती, लेकिन दिनेश जैन और उनके समर्थक ग्रुप ने सुरेश गुप्ता को गंभीरता से नहीं लिया
पांचवां
दिनेश जैन के चुनाव में अनूप मित्तल भी सलाहकार बनकर सक्रिय थे लेकिन उनका कहना है कि उनकी सलाह को गंभीरता से लेकर उसपर अमल नहीं किया गया, जबकि विजेता पक्ष ने मिले अवसरों को तुरंत अपने पक्ष में कर लिया, उनका कहना है डिस्ट्रिक्ट 3011 के चुनाव बिना आक्रामकता के, बिना साम, दाम, दंड, भेद के नहीं जीते जा सकते जब विपक्ष आक्रामक हो और वह साम, दाम, दंड, भेद का प्रयोग कर रहा हो और आपसे एक कदम आगे चल रहा हो और आप रक्षात्मक ढंग से चुनाव लड़ेंगे तो ऐसी स्थिति में चुनाव जीत पाना संभव नहीं है
इस चुनाव के असली किंग मेकर सुरेश गुप्ता हैं, जबकि रविंदर गुगनानी ने भी अपने गुरु अनूप मित्तल से अपने चुनावों में तथा महेश त्रिखा के चुनावों में सक्रीय रहकर सीखे दांव पेचों का प्रयोग पूरी तन्मयता से इस चुनाव में किया और रविंदर गुगनानी की भूमिका इन चुनाव में प्रमुख रही, यहाँ पर रवि चौधरी की भूमिका दिनेश जैन को बैकफुट पर रखने में अहम् रही, जिससे डॉ. पुष्पा सेठी की जीत के लिए रास्ता आसान हुआ, महेश त्रिखा ने बेहिसाब पद बांटकर तथा डॉ. पुष्पा सेठी को प्रत्येक इंस्टालेशन में ले जाकर उनके समर्थन में खड़े रहे, उन्हें अपने साथ मंच पर स्थान दिया या दिलवाया जिससे डॉ. पुष्पा सेठी की जीत की बुनियाद मज़बूत हुई
एक बात और यहाँ पर जानकारी में आयी कि चुनाव में पारदर्शिता नहीं बरती गयी, बैलट कमेटी में गवर्नर ने उन्हीं लोगों को शामिल किया जो डॉ. पुष्पा सेठी के समर्थन में प्रचार कर रहे थे जबकि होना यह चाहिए थे बैलट कमेटी के गठन में गवर्नर द्वारा पक्षपात नहीं किया जाता और निष्पक्ष सदस्यों को शामिल किया जाता या प्रत्येक प्रत्याशी के ग्रुप का एक सदस्य होता, दूसरी तरफ प्रत्याशियों द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षकों को मतों की गणना के समय इससे दूर रखा गया और गणना करने वाले बैलट कमेटी के सदस्य ही रहे और वह क्या कर रहे हैं यह प्रत्याशियों द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षकों की पहुँच से दूर था
प्रत्याशी हेमंत भसीन ने गवर्नर महेश त्रिखा को लिखित शिकायत कर बैलट कमेटी के सदस्यों को चयनित करने पर आपत्ति दर्ज़ कराई थी लेकिन महेश त्रिखा ने चुनावों को पारदर्शी बनाने की तरफ कोई पहल नहीं की और न ही हेमंत भसीन की शिकायत का कोई जवाब दिया
डिस्ट्रिक्ट 3011 के चुनावों से एक बात स्पष्ट हुई है कि यहां भी भारतीय राजनीति की तरह योग्य प्रत्याशी की कोई अहमियत नहीं है, बल्कि कौन सी पार्टी(Groupism), मतदाताओं को उपहार तथा मुफ्त कमरे, गवर्नर द्वारा प्रत्याशी के लिए वोट के बदले पदों का वितरण इत्यादि अहमियत रखती है, यहां चुनाव जीतने के लिए सबसे पहले किसी Group का हिस्सा बनना आवश्यक है, Independent Candidate का यहाँ चुनाव जीतना असंभव सा है, डिस्ट्रिक्ट 3011 में चुनाव जीतना है तो Group के साथ आयें और लाभार्थी मतदाताओं को चिन्हित करके उनतक विपक्षी प्रत्याशी से पहले अपेक्षित लाभ(freebies) पहुंचा कर उसे अपने पाले में कर लें, यही यहां जीत का मूलमंत्र है