पत्रकारिता को गणतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है लेकिन आज के दौर में चौथे स्तम्भ को लगातार कमज़ोर किया जा रहा है, लेकिन अभी भी कुछ संस्थायें टिकी हुई हैं और अपना कर्तव्य निभा रहीं है
पत्रकारिता को गणतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है लेकिन आज के दौर में चौथे स्तम्भ को लगातार कमज़ोर किया जा रहा है, लेकिन अभी भी कुछ संस्थायें टिकी हुई हैं और अपना कर्तव्य निभा रहीं है